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नववर्ष में निर्भय प्रवेश – New Year Message

© Dr. Matthew K. Thomas, 2010

President of Central India Theological Seminary, Executive Board Member of Pentecostal World Felloship, Chairman of the Fellowship of Pentecostal Churches in India

© डॉ. मैथ्‍यू के. थॉमस, 2010


नए वर्ष के प्रारंभ ही में हमने ऐसे त्रासदी भरी घटनाओं के बारे में सुन लिया है, जिससे संसार आज भय के चपेट में आ गया हैं। हाल ही में एक भयानक भूकम्‍प ने हायती देश की राजधानी में ही एक लाख से अधिक लोगों की एक ही दिन में  जान ले ली। फिर कोई आतंकवादी संघटन का मुखिया ने कल ऐलान कर दिया कि उसके पास इतना परमाणु शक्ति है कि वह सारे विश्‍व को पंद्राह मिनटों में नाश कर सकता है। संसार स्‍वयं मौत एवं आतंक का ऐसा खतरनाक समुद्र बन चुका है जिसमें जीवन और भविष्‍य हर वक्‍त समाप्ति के कगार पर ही पाए जाते हैं। ऐसे परिस्थितियों में परमेश्‍वर का वचन हमारे लिए दैवीय सच्‍चाई का वह सीख देता है जो हमें भय के बंधन से मुक्‍त कर ईश्‍वरीय भलाई और करूणा के साथ हमें इस नववर्ष में प्रवेश दिलाता है।

इब्रानियों 13:5,6,8 के अनुसार:

'जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्‍योंकि उस ने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा।  इसलिथे हम बेधड़क होकर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहाथक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्‍या कर सकता है.... यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एकसा है।'

भय पॉच क्रियाओं के द्वारा मनुष्‍य को ईश्‍वरीय विजय से अलग करता है:
1. भय हमारे सोच-विचार को अनरूप एवं विकृत कर देता है।
2. भय संतों के मन को अनुत्‍साहित कर देता है।
3. भय हमारे लिए ईश्‍वर की सुयोजना को अनदेखी कर देता है।
4. भय ईश्वर के संदेश एवं प्रतिज्ञाओं पर अविश्‍वास जताता है।
5. भय दैवीय सिद्धांत के प्रति अनाज्ञारिता दर्शाता है।

इस नव वर्ष में निर्भय प्रवेश हेतु इब्रानियों 13:5,6,8 में हम चार शक्ति मूल्‍यों को देख सकते है।
1. उसके प्रबंधन की संतुष्टि
2. उसकी उपस्थिति की सहभागिता
3. उसके प्रतिज्ञाओं का आश्‍वासन
4. उसकी सुरक्षा की सांत्‍वना

1.  उसके प्रबंधन की संतुष्टि। वचन कहता है: ''जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो।' हमारा पिता परमेश्‍वर हमारे लिए सब भ‍‍ली वस्‍तुओं का प्रबंध किया है। परन्‍तु मनुष्‍य जब असं‍तुष्टि की चपेट में आ जाता है तो इसे समझ नही पाता। संतुष्टि के चार महान शत्रु है: चिंता, अविश्‍वास, अकेलापन, एवं लालच या लोभ। 2पतरस 1:3 के अनुसार जीवन एवं भक्ति के लिए जो भी बातें आवश्‍यक हैं उनहे परमेश्‍वर ने हमे दे दिया है। हमें बरकतों को स्‍मरण रखकर एक धन्‍यवादी हृदय के साथ आनंदमय जीवन को व्‍यतीत करना है। यह सं‍तुष्टि एवं आनंद परिस्थितियों पर आधारित नहीं परंतु परमेश्‍वर के साथ हमारे सम्‍बंध का प्रमाण है। भजनकार कहता है कि वह हर दिन हमें भली वस्‍तुओं से तृप्‍त करता है। जब चारों तरफ आर्थिक अव्‍यवस्‍ता फैल रही है और बेरोजगारी एवं गरीबी मनुष्‍य को प्रताडित कर रही है तो परमेश्‍वर का वचन हमें स्‍मरण दिलाता है कि हमारे पिता ने हमारे लिए सभी बातों का प्रबंध कर दिया है। मुझे मेरे जीवन के वे दिन स्‍म्‍रण है जब मुझे होशंगबाद किसी कार्यक्रम के लिए जाना था और हमारे घर में बस के टिकट खरीदने के लिए भी पैसे नही थे। मैने इसे कोई कमजोरी नही समझा; हम साईकिल से वहा तक गए। एक समय था जब हमें रोज नहाने के लिए रैलवे स्‍टेशन जाना पडता था। लेकिन ऐसी अवस्‍था में असंतुष्टि हम पर प्रबल नही हो पाई क्‍योंकि हम अपने पिता परमेश्‍वर के प्रबंध को जानते थे। समय पर वह अपने खजाने में से एक एक आशीष हमारे जीवन में लाता गया। आज भी हम उतने ही आनंदित है जितना उस समय थे, क्‍योंकि हम अपने प्रबंध करने वाले पिता को भली भांति जानते है।

1 थेस्‍सलोनिकियों 5:16,17,18 हमें यह सिखाता कि एक धन्‍यवाद से भरा हुआ हृदय परमेश्‍वर की इच्‍छा को पूरा करता है। परमेश्‍वर चाहता है कि हम हमेशा आनंदित, धन्‍यवादित, एवं प्रार्थना करते रहें। भजन 34:10 कहता है: जवान सिंहों को तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियोंको किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी। हाल ही में हमारे फैलोशिप को सहायता भेजने वाले चार महान दानियों ने हमें लिखा कि वे हमें सहायता नहीं भेज सकते है। लेकिन हम जानते है कि जब कोई दर्वाजा बंद होता है तो ईश्‍वर दूसरा दर्वाजा खोलने के लिए तैयार रहता है क्‍योंकि उसके प्रबंधन ही से यह संसार और यह सेवकाई भी चलती है। इसलिए हमें किसी बात का भय नहीं। हम इस नए वर्ष में निर्भयता के साथ, हृदय में एक दैवीय संतुष्टि को लेकर प्रवेश कर रहे हैं, और हम चाहते है कि आप भी ईश्‍वरीय भलाई को स्‍मरण रखते हुए बडे आनंद, विश्‍वास, और अपेक्षा के साथ इस नव वर्ष में प्रवेश करें।

2.  उसकी उपस्थिति की सहभागिता। परमेश्‍वर का वचन कहता है, 'मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा।' प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हम जिस दैवीय रिश्‍ते एवं संगति में प्रवेश कराये गये है वह कभी टूटने वाली नही है (1यूहन्‍ना 1:3)। बाईबल बताती है कि एक दुध पिलाती मां अपने बच्‍चे को त्‍याग सकती है, परन्‍तु परमेश्‍वर हमें कभी नहीं त्‍यागता। निश्‍चय इसमें कोई संदेह नहीं की मनुष्‍य अपने मन का अनुकरण कर पथभ्रष्‍ट हो जाता है, परन्‍तु परमेश्‍वर की उपस्थिति हमारे साथ कायम रहती। दुख की बात तो यह है कि कई लोग इस बात को समझ नहीं पाते और इस कारण से ईश्‍वर उनके निकट होने पर भी वे उसकी संगति में प्रवेश नहीं कर पाते है, न उसमें सहभागी हो पाते हैं। लेकिन उसके उपस्थिति का ज्ञान एवं एहसास भर भय को दूर कर देता है, इसलिए भजनकार कहता है, 'तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है' (भजन 16:11)। जब मित्र एवं बन्‍धु हमें त्‍याग देते है, तभी भी हम जानते है कि वह हमारे संग रहता है। जब परिस्थितियां विपरीत हो जाती है तब भी वह हमारे साथ रहता है। वचन यह भी कहता है कि जो हमें छूता है उसकी आंखों की पुतली को छूता है। तो फिर हमें किस बात का डर। संसार के विभिन्‍न महान परेशानियों में दो महान समस्‍याएं आज अकेलापन एवं उबाउपन है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इनहे दूर करने के प्रयास में मनुष्‍य असंगत परिस्थ्‍िातियों में अपने आप को फसा लेता है। इस कारण से जीवन भी अनर्थ, आशा‍रहित, अननुमेय, एवं अशांत सा हो जाता है। परंतु जिस प्रकार संत अगस्‍तीन ने कहा था, जब हम ईशवर के पास आते है तो यह बेचैन दिल चैन पा लेता है। परमेश्‍वर कहता है कि 'परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा' (याकूब 4:8)। यद्यपि वह हम में से किसी से भी दूर नही (प्ररित 17:27) फिर भी यह सहभागिता हमारे सहभागिता के बिना सम्‍भव नहीं हो सकता। उसके निकट बने रहें और भय और चिंता का ह्रास हो जाएगा। आज हम भजनकार आसाफ के साथ यह कहने पायें: 'परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिथे भला है' (भजन 73:28)।


3.  उसके प्रतिज्ञाओं का आश्‍वासन। परमेश्‍वर की उपस्थिति एवं सहायता की प्रतिज्ञाएं हमें दृढ़ आशा प्रदान करती है। हम इस नए वर्ष में इन प्रतिज्ञाओं को लेते हुए बडे हर्ष एवं अपेक्षा के साथ प्रवेश करें क्‍योंकि परमेश्‍वर हमारे जीवन में अपनी भलाई एवं पराक्रम को बहुतायत से प्रगट करेगा। हम वचन के अनुसार परमेश्‍वर के भुजबल पर आशा रखने वाले हो जाएं (यशायह 51:5)। इस संसार में जीते हुए हम कई अभक्‍त एवं अधर्मी बातों का सामना करते है, परन्‍तु परमेश्‍वर ने 'बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूटकर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ' (2पतरस 1:4)। क्‍या कोई जवान इस बात से भयभीत है कि वह इस वर्ष प्रभु में स्थिर रह पायेगा या नही, तो आप परमेश्‍वर के प्रतिज्ञाओं को अपने सीने से लगाकर ऐलान कर दें कि आप अपना चाल चलन को शुद्ध रख पायेंगे क्‍योकि आप परमेश्‍वर के वचन से सावधानी का पाठ लेते है (भजन 119: 9)। जब आप विभिन्‍न प्रकार के परीक्षाओं में अपने आप को पाते है तो स्‍मरण रखें कि परमेश्‍वर आप के लिए एक निकलने का मार्ग भी बनाता है ताकि आप अंत तक धीरज रखें (1कुरूत्थियों 10:13)। परमेश्‍वर ने लिखित वचन में हमें बुद्धि, भरपूरी, जय, सहायता, एवं शांति का वायदा किया है। आये इस नए वर्ष में हम उनहें प्राप्‍त करने की चेषटा के साथ प्रवेश करें। और परमेश्‍वर की इच्‍छा को  स्‍मरण रखें: 'हम बहुत चाहते हैं, कि तुम में से हर एक जन अन्‍त तक पूरी आशा के लिथे ऐसा ही प्रयत्‍न करता रहे। ताकि तुम आलसी न हो जाओ? बरन उन का अनुकरण करो, जो विश्वास और धीरज के द्वारा प्रतिज्ञाओं के वारिस होते हैं' (इब्रानियों 6:11,12)। इसलिए आइए हम विश्‍वास एवं धीरज से कमर कस कर बडे उम्‍मीद और आश्‍वासन के साथ इस नए वर्ष में प्रवेश करें। यदी कोई सोचता है कि ऐसे अनुभव केवल बाईबल के समयों में ही संभव थे, तो याद रखे कि वचन हमे फिर स्‍मरण दिलाता है कि यीशु मसीह कल, आज, और युगानुयुग एक सा है। जैसा वह नबदल है, वैसे ही उसकी प्रतिज्ञाएं भी चिरस्‍थायी है।

4.  उसकी सुरक्षा की सांत्‍वना। आज के संसार में सुरक्षिता के कई उपाय है जो इंजीनियरिंग के तकनीकों एवं औषधि विज्ञान के कक्ष से चल कर आर्थिक संरक्षण की दुनिया तक विद्यमान है। लेकिन चाहे इं‍जीनियर आपके मकान को, आपके गाडी को, रोज के यातायात वाहनों को, या अन्‍य यंत्रों को कितना ही सुरक्षित क्‍यों न कर दें; या आप बीमा इत्‍यादी द्वारा भविष्‍य को सुरक्षित करने का कितना भी प्रयास कर लें; फिर भी यदी परमेश्‍वर की सुरक्षा का कवछ हमे न घेरे तो ये सारी बाते व्‍यर्थ ही है। भजन 3,4, एवं 5 अध्‍यायों के अंतिम पदों को स्‍मरण रखें। वे कहते है:


'उद्धार यहोवा ही की ओर से होता है' (भजन 3:8)
'मैं शान्ति से लेट जाऊंगा और सो जाऊंगा? क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिन्त रहने देता है।' (भजन 4:8)
'तू धर्मी को आशिष देगा। हे यहोवा, तू उसको अपके अनुग्रहरूपी ढाल से घेरे रहेगा।' (भजन 5:12)

परमेश्‍वर का अनुग्रह हमारी ऐसा ढ़ाल है जिसे संसार की कोई भी शक्ति भेद नही सकती। इस कारण से भजनकार कहता है कि वह शात्ति से लेट कर सो जाएगा क्‍योंकि यहोवा ही उसे एकान्‍त में निश्चिन्‍त रहने देता है। वचन कहता है कि 'परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्य, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है' (2तिमोथियुस 1:7)।
परमेश्‍वर के लोगों के जीवन में असंगत भय होने की आवश्‍यक्‍ता नहीं क्‍योंकि उनका जीवन परमेश्‍वर ही के हाथ में है और उसके मर्जी के बगैर हमारे सिर का एक भी बाल बांका नही हो सकता (लूका 21:18)। क्‍या कोई भी संसार की कम्‍पनी हमें इतने सुरक्षा का कवरेज दे सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं की हम मूर्खता एवं अहंकार का रूख अपना कर संगत भय को भी नजर अंदाज कर दें। उदाहरण के लिए, इसका मतलब ये नहीं होता कि आप आग में हाथ डाल कर अपनी निर्भयता को प्रदर्शित करने की कोशीश करें। याद रखें कि शैतान ने भी बाइबल के वचनों का गलत उपयोग कर यीशु मसीह को मंदिर पर से नीचे कूदने के लिए प्रोतसाहित करने कि कोशीश किया, परंतु प्रभु ने उसे यह कहते हुए सामना किया कि लिखा गया है कि तू अपने प्रभू परमेश्‍वर की परीक्षा न लेना। ईश्‍वरीय सुरक्षा अनुग्रहरूपी है, और अनुग्रह केवल उसी पर होता है जो नम्रता से प्रभु के नियमों का आ‍धीन हो (याकूब 4:6)।

सो आईये हम परमेश्‍वर के प्रबंधन की संतुष्टि, उसकी उपस्थिति की सहभागिता, उसके प्रतिज्ञाओं का आश्‍वासन, एवं उसकी सुरक्षा की सांत्‍वना के साथ इस नव वर्ष में निर्भयता के साथ प्रवेश करें। प्रभु आपको आशीष दें।

© डॉ. मैथ्‍यू के. थॉमस, 2010, इटारसी.

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