'मुझे इसलिए न घूर कि मैं साँवली हूं, क्योंकि मैं धूप से झुलस गई। मेरी माता के पुत्र मुझ से अप्रसन्न थे, उन्होंने मुझ को दाख की बारियोंकी रखवालिन बनाया? परन्तु मैं ने अपनी निज दाख की बारी की रखवाली नहीं की!' (1:6) उपरोक्त आयत में शूलेमी अपनी दु:खपूर्ण गाथा सुना रही है। उसका अपने प्रेमी से प्रेम होने की वजह से उसकी माता के पुत्र अर्थात उसके अपने ही भाई अत्यधिक नाराज गये, उन्होंने उसे दाख की रखवालिन बना दिया। अत्यधिक तेज धूप में दाख की रखवाली करने के कारण शूलेमी के शरीर का रंग सांवला हो गया। शूलेमी को अपने ही परिवार के लोगों ने सताया तथा उसके सच्चे प्रेम को तोड़ने की कोशीश की। शूलेमी ने तो वफादारी के साथ अपने भाइयों की दाखबारियों की देखभाल की परन्तु वह अपनी बारी की रक्षा न कर सकी। जब एक विश्वासी मसीह की ज्योति में आ जाता है तभी उसे अपने पूर्वजीवन का सारा कालापन दिखाई देता है। तभी सारी कमजोरियां दिखाई देती हैं। शूलेमी की सतावट घर से ही थी। बाहरी पीड़ा से घर की पीड़ा अधिक कष्टकर होती है। जो लोग सच्चाई के मार्ग में आगे बढ़ना चाहते हैं उन्हें घरवाले ही रोकेंगे। यीशु ने भी ...
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